मेहंदी का इतिहास क्या है?

मेहंदी का इतिहास क्या है: माना जाता है की भारत मे मेहंदी का प्रचलन की शुरुआत मुगल काल से हुई है मुगल वंश की रानियां मेहंदी लगाने की अत्यधिक शौकीन थी साथ ही इसके औषधि गुण के चलते इसका प्रयोग बढ़ते ही चला गया ।
मुगलों को देखकर हिंदुओं ने भी मेहंदी लगाना पर प्रारंभ कर दिये ।

प्राचीन समय में मेहंदी की लोकप्रियता

प्राचीन समय में मेहंदी को ‘ हिना ‘ के नाम से जाना जाता था । मेहंदी की उत्पत्ति अरब से मानी जाती है। क्योकि वहा के लोग प्रत्येक अवसर पर मेहंदी लगाते है।

मेहंदी लगाने की परम्परा प्राचीन समय से चली आ रही है। चुकी पहले मेहंदी के पौधे को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर लगाते थे । लेकिन आजकल मेहंदी का पाउडर और मेहंदी का तरल रूप बाज़ार मे बिकने लगा है ।

मुगल काल मे रानीयो के मेहंदी लगाने के लिए कुछ लोगो का विशेष समूह होता था । जो सिर्फ मेहंदी लगाने का कार्य ही करते थे । भारत ही मात्र एक ऐसा देश है। जहा सबसे ज्यादा मेहंदी लगाया जाता है। इसमे भी राजस्थान मे सबसे ज्यादा मेहंदी उगाया जाता है ।

इसका उपयोग संस्कृतियों एवं परम्पराओ के माध्यम से किया जाता है। मेहंदी शुरुआत से ही सौंदर्य और आभूषण का एक माध्यम बना रहा है।


इसकी शुरुआत दक्षिण एशिया के हिस्सों से हुआ था, मेहंदी को बांगलादेश, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, और मलेशिया जैसे देशों में भरपुर उपयोग किया जाता है।

मेहदी का उपयोग विशेषकर विवाह समारोहों, त्योहारों एवं धार्मिक कार्यकर्मो में होता आ रहा है। इसे हाथों और पैरों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है ।

मेहंदी के आकर्षक एवं बढ़िया डिज़ाइन्स का चयन महिलाओ एवं लड़कियों के सौंदर्य को बढ़ाता है और साथ ही इससे जुड़े गीतों और किस्सों के माध्यम से सांस्कृतिक और सामाजिक संदेशों को लोगो तक पहुँचता है।

मेहंदी का इतिहास भविष्य की पीढ़ियों को इसके महत्वपूर्ण संबंध के साथ परिचित कराता है और सौंदर्यिक परंपरा के रूप में आज भी अपना स्थान बनाए रखता है।

हेना के इतिहास की बात करे तो माना जाता है । की मेहंदी की प्रचलन भारत से ही हुई है । उसमे भी राजस्थान का नंबर पहले पर आता है । क्योकि भारत का 80 % मेहंदी वही से आता है । और वहा लोग भी ज्यादातर हेना का ही व्यवसाय करते है ।

प्राचिन काल मे राजा रानीयो के लिए अलग से एक हेना के कलाकार होते थे । जो केवल उनके डिज़ाइन बनाने के लिए ही रखे गये होते थे। इनको डिज़ाइन बनाने के बदले पैसे दिये जाते थे । ताकि ये अपना जीवन निर्वाह कर सके ।

लेकिन् कुछ लोगो का मानना है की यह अरब की देन है । क्योकि वहा पर भी उपयोग करने वाले की सख्या ज्यादा है। वहा के लोग मुख्य रूप से जटिलता भरा डिज़ाइन को लगाते है । और ये लोग बड़े आसानी से इसे लगाते है ।

पहले के जमाने के लोग हेना पाउडर का सीधा उपयोग नहीं करते थे । बल्कि वे उसके पौधे से पाउडर बनाते थे । इसका सबसे पहले जंगलों से मेहंदी का पत्ति और तना छाटकर ले आते थे । फिर उसे धुप मे सूखने के लिए छोड़ देते थे ।

उस्के सूखने के बाद उसको पीस देते थे । ताकि उसका पाउडर बन जाये । पाउडर बन जाने के बाद वह उपयोग लायक हो जाता था । फिर उसे या तो उपयोग कर लिया जाता था या फिर किसी को बेच दिया जाता था।

अगर आप मेहंदी डिज़ाइन मे इंट्रेस्ट रखते हो तो आप हमारे वेबसाइट को एक बार विजिट कर सकते है । वहा पर हम सभी प्रकार के डिज़ाइन चयन करके रखे है । और वहा पर हम आपको लगातार अपडेट देते रहते है ।

मेहंदी महिलाओ के सजावट का बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है । इसका इतिहास बहुत ही पुराना और रोचक तथ्यों से भरा हुआ है । यह भारतीय संस्कृति से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है । इसका दूसरा नाम ‘हेना ‘ है । इसका उपयोग के साथ इसके औषधि लाभ को भी नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते है ।

माना जाता है की प्राचीन समय मे साधू संतो ने मेहंदी का उपयोग विभिन्न रूपों मे किया है । साथ ही वे इसके लाभ और उपयोग के बारे मे अपने ग्रंथो के माध्यम से संग्रहित किया है । इन्ही के ग्रंथो से पता चलता है की मेहंदी ‘मेहेंदिका’ का ही बिगड़ा हुआ रूप है ।

इसका उपयोग विवाह समारोह , करवा चौथ , तीज ,भाई दूज आदि संस्कृतिक कार्यक्रम मे किया जाता है। शादी मे हेना लगाना दुल्हन के लिए शुभता एवं सकारात्कमता का संकेत देता है । यह किसी भी समारोह मे महिलाओ के लिए जरूरी समान की तरह होता है ।

भारत में मेहंदी का उपयोग

अगर हम मेहंदी की उपयोग की बात करे तो इसका उपयोग तो भारत मे हो ही रहा है । साथ ही इसका प्रचलन विदेशो मे भी बढ़ने लगा है । काफी लोग मेहंदी कला को देखकर प्रभावित हुए है । यह वर्तमान मे सभी स्कूलों और कॉलेजो के द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओ का भी अंग बन चुका है ।

इससे लोगो मे इसके प्रति इंट्रेस्ट भी बढ़ रहा है । प्रतियोगिताओ मे विजय होने वाले छात्रों को पुरुस्कार भी दिया जाता है । इससे सभी बच्चों का इसके लिए रुझान बना रहता है । यह सिर्फ बच्चों के अंदर इस कला को विकसित करने के लिए ही मुख्य रूप से करते है ।

अगर इसके इतिहास की बात करे तो यह मुगलकालीन से प्रारम्भ हुआ है। प्राचीन समय मे इसके पौधे का उपयोग साधु ने औषधि के रूप मे उपयोग किया जाता था । वे लोग इसके औषधि लाभ जैसे की दवाई के रूप मे उपयोग करते थे ।

प्राचीन समय बुटी जड़े का प्रयोग होता था । उनका मानना था की यह प्रकृति की देन है और वे प्रकृति की पूजा करते थे । और उससे प्राप्त सभी वस्तुओ का उपयोग करते थे । वे इसे घाव , चोट लगने पर लगाते थे । और यह उन्हे ठीक कर देता था ।

इस सबसे इसका उपयोग तेजी से बढ़ा लोग कोई भी त्वचा सम्बन्धित रोग के लिए इसका ही प्रयोग करने लगे । मुख्यत: ऋषि मुनी लोग जंगल मे ही निवास करते थे । जो की उससे संबंधित सभी चीजों का उपयोग करते थे ।

प्राचीन समय मे इसका उपयोग कुछ निश्चित क्षेत्र मे हि किया जाता था । परन्तु बढ़ते समय के साथ इसमे विस्तार होना शुरु हो गया । यह कला भारत से बाहर स्थान्तरित होने लगा । विदेशो के लोगो को यह बहुत लोकप्रिय होने लगा इसलिए वे यहा से इसको सिखाकर अपने देश मे सिखाने लगे है ।

हिंदुवो में मेहंदी की सुरुवात

हिन्दुओ मे मेहंदी का शुरुआत मुगलो से ही आरम्भ हुआ । चुकी यह बहुत आसान कला था इसलिए हिन्दु लोग इसे नकल कर लिए । परन्तु इसके कठिन डिज़ाइन की नकल नहीं कर पाते थे । यह ही बढ़कर विभिन्न केटेगरी मे विभक्त हो गया है ।

अगर मान्यता के अनुसार चले तो मेहंदी तो भारत से उत्पन्न हुआ है । लेकिन इसका श्रेय पूर्णतः राजस्थान राज्य को जाता है । क्योकि सबसे ज्यादा यह ही उगाया , बनाया एवं बेचा जाता है । और इसके आर्थिक पहलु को देखे तो यह भारत की अर्थव्यवस्था मे भी कुछ योगदान दे रहा है । अपने राज्य को समृद्ध बनाने मे भाग ले रहा है ।

इसके बढ़ते मांग को देखते हुए बहुत लोगो ने तो इसका व्यवसाय भी शुरु कर दिया है । लोग अपनी जीविका चलाने के लिए मेहंदी बेचना , बनाना ,उगाना शुरु कर दिये हउ । कुछ लोगो ने तो इसे विदेशो मे निर्यात भी करना शुरु कर दिये है ।

इसके इतिहास की बहुत सी रोचक कहानी भी है । जो की मेहंदी लगाने को बढ़ावा देता है । अगर आपको इससे सम्बन्धित जानकारी चाहिए तो आप हमारे होम पेज पर जा सकते है । वहा हेना के सभी प्रकार को विस्तृत बताया गया है ।

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